वरिष्ठ संवाददाता मनीष मिश्रा लखनऊ
एक खबर में रेलवे की घोर लापरवाही को दर्शाते हुए, श्रमिक स्पेशल ट्रेन के भटकने और श्रमिकों को होने वाली परेशानी का मामला था और दूसरी खबर में रेलमंत्री पीयूष गोयल ,अपने बयान से पहली खबर को झूठा साबित कर रहे थे।
पहली खबर में उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जन संपर्क अधिकारी के इस बयान को छापा गया कि राज्यों से चलने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का टाइम टेबल नहीं बना था, और एक साथ कई ट्रेनें आने से कंजेक्शन हो गया था। खबर में रेलवे के सिस्टम के फेल हो जाने का पूरा ब्यौरा दिया गया था और रेलवे को सीधे-सीधे इस बेपरवाही और अव्यवस्था का दोषी बनाया गया था।
परन्तु, उसी पृष्ठ पर ,उसी खबर के बगल में रेलमंत्री पीयूष गोयल ,रेलवे की समझदारी और का गुणगान करते हुए बता रहे थे कि कोई भी ट्रेन नहीं भटकी बल्कि रेलवे ने पूर्व नियोजित और निर्धारित रुट पर अपनी श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाईं । रेलमंत्री ने कहा कि इस समय ट्रैक पर भारी दबाव है। रेलमंत्री ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा कि इस समय पूर्वी रुट पर केवल श्रमिक स्पेशल ट्रेनें ही नही दौड़ रहीं हैं बल्कि इन रुट पर सर्वाधिक मालगाड़ियों का भी लोड है। इसलिए व्यस्तता के चलते ,गोरखपुर पहुँचाने वाली ट्रेन का रास्ता बदला गया।
हालाँकि रेलमंत्री जिस रुट की व्यस्तता की बात कर रहें हैं , वह सदा से सर्वाधिक व्यस्ततम रुट रहा है।
अजीब बात है कि ट्रेनों के रूट, इस कदर बदले गए कि गोरखपुर जाने वाली ट्रेन राउरकेला पहुँच गयी। यानी, जिस ट्रेन को सिर्फ एक राज्य क्रॉस करके पहुँचना था, वह चार राज्य क्रॉस करके गंतव्य तक पहुँची। ट्रेनों को तीन गुना समय और चार गुना दूरी बढ़ाकर गंतव्य तक पहुँचाने का रेलवे तब प्लान कर रहा है ,जब देश की अर्थव्यवस्था करोना संकट के कारण चरमरा गई है ।
रेलवे और रेलमंत्री की यह प्लानिंग किसी के गले नहीं उतर रही क्योंकि इन भटकी हुई ट्रेनों में सफर करने वालें कुछ श्रमिकों की भूख,प्यास और लू से जान भी चली गयी।
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