निधि भार्गव मानवी
गीता कालोनी ईस्ट दिल्ली
ये इंसान को उसकी औकात बता देता है जैसे कहता हो कितना भी गुरुर हो तुझे खुद पर, लेकिन मुझसे बड़ा तू कभी नही हो सकता...
सच्ची मानवता वही है जिसे खुद पर लेशमात्र भी गुरुर न हो। गुरूर इंसान को हमेशा मुंह के बल गिराता है।
विशालहृदय, सहज, सरल व्यक्तित्व ही लोगों के दिलों में हमेशा के लिए अपनी जगह बना पाता है।
किसी को नीचा दिखाने की सोच ही कितनी नीचे गिरी हुई है। स्पर्धा और झूठे आडंबर इंसान की गरिमा को पलभर में धूल चटा देते हैं।
मृत्यूपरांत मनुष्य तो जलकर खाक हो जाता है परंतु उसका व्यवहार परिचितों के बीच में उसे जिंदा रखता है। हमें जीते जी ऐसे सत्कर्म करने चाहिए ताकि मरने के बाद भी लोगों के बीच हमारा अस्तित्व कायम रह सकें, और हमारे अपने हमपर फ़ख्र कर सकें।
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