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सुदृढ़ भारत के लिए समाज का चीन के लिए चिंतन अपरिहार्य

 


 नीरज सिंह , भाजपा नेता 

संभवतः यह  पहली बार ही है  कि  कोविड-19  काल के साथ ही संपूर्ण विश्व में चीन को लेकर जो धारणा बनी, वह सभी मानवतावादियों के लिए आंख खोल देने वाली थी।  हम भारतीयों के लिए  इसलिए भी अधिक थी क्योंकि सन 1962 से हम निरंतर उसका दंश झेल रहे थे। वस्तुतः भारत देश की सबसे बड़ी थलीय सीमा, जहां 1960 के पहले तक केवल तिब्बती था, उसको हड़पने के बाद से लेकर हम इस साढ़े तीन हजार किलोमीटर की सीमा पर सदैव आशंकित व चिंतित रहे हैं। यह सीमा हमें अब हमेशा सावधान रखने वाली परिस्थितियां बनाती है क्योंकि एक आम अच्छे पड़ोसी की तरह चीन कभी नहीं रहा। वैसे तो सत्य यह भी है कि वह हमारा पड़ोसी राष्ट्र कभी नहीं था।

 सच कहा जाए तो चीन पूरी दुनिया के सामने वामपंथ का वह सच्चा चेहरा है, जिससे स्पष्ट होता है कि कम्युनिज्म का  वास्तविक रूप आखिर होता क्या है। सर्वहारा वर्ग के लिए साम्यवाद की अवधारणा तो उनके लिए दिखावे की होती है बल्कि वामपंथ जिस तरह साम्राज्यवाद के खात्मे का संघर्ष करने की बात कहता हुआ पूरा वितण्डावाद फैलाता है, उसके परोक्ष में खुद उसकी नीयत अपने साम्राज्यवाद को फैलाते रहने की होती है। यहां चीन के इस स्वरूप का विरोध पूरी दुनिया के किसी भी साम्यवादी या वामपंथी विचारकों द्वारा कभी कहीं नहीं दिखी।चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि साम्यवाद का यह विद्रूप चेहरा हमने भारत के अंदर भी कई बार देखा, जो आंदोलन करते हुए हर किसी कथित अन्याय के विरुद्ध सड़कों पर बैठकर संघर्ष करने का दिखावा करता है। ऐसे ही लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एकदम सही संज्ञा दी - "आंदोलनजीवी।"  

हर छोटी-बड़ी कथित समस्या पर ढपली बजा बजाकर चिल्लाते इन लोगों से कभी यह भी न हुआ कि भारत की साढ़े तीन हजार किलोमीटर तिब्बती सीमा पर खड़ी चीनी सेना के मानवता विरोधी कृत्यों के विरुद्ध बोला जाये। यह घोर दुखद व आश्चर्यजनक कृत्य नहीं है तो भला और क्या है। जगजाहिर है कि देश की संप्रभुता पर यह वामपंथी सोच सुरक्षा के साथ खिलवाड़ भी करती है लेकिन कॉन्ग्रेस इसमें भी दो हाथ आगे निकल कर बोलती है, तो लगता है कि सीमा पार बैठे देश के दुश्मनों से अधिक तो हमारे अपने देश में ही बैठे हैं। चीन सरकार और कांग्रेस पार्टी के बीच के करार को लेकर तथ्य सामने आ चुके हैं लेकिन उसके बावजूद वह भाजपा समेत सभी राष्ट्र भक्तों पर बेवजह उंगली उठाने में शर्म महसूस नहीं करते। हद तो तब होती है जब लद्दाख प्रांत की ओर से चीनी सेना के वापस जाने पर कांग्रेस झूठ बोलती है लेकिन वह उस बयान से कैसे मुँह फेर सकती है, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने तिब्बत से सटे अक्साई चीन को बंजर कहकर चीन को दान कर देने की हिमायत की थी। धिक्कारयोग्य इन लोगों ने ही आज यह देश की सुरक्षा पर समस्या खड़ी करके हमें विरासत में दे दी लेकिन सच यह है कि कोरोना काल में दुनिया की सारी महाशक्तियों, यथा; अमेरिका, रूस और समूचे यूरोप में लाशों का अंबार लगा देने वाले चीनी वायरस से हम भारतीयों को यथासंभव बचाने का काम जिस तरह मोदी सरकार ने किया और दुनिया भर में सबसे अच्छा परिणाम देने वाली वैक्सीन का निर्माण समय से पहले किया। यह न केवल हम भारतीयों का गर्व मस्तक ऊंचा करता है बल्कि चीन के इस अपरोक्ष युद्ध से पूरी दुनिया में मानवता को बचाने में मोदीजी  के व्यक्तित्व को एक विश्व नायक के रूप में प्रतिष्ठित करता है। फिर भी यह चिंता हमें व आपको करनी ही पड़ेगी कि दुनिया के लिए आतंक का सबसे बड़ा पर्याय बनते जा रहे चीन की कुदृष्टि वाली आंखों को हमें ही फोड़ना होगा। गत 60- 70 सालों में कांग्रेस, कांग्रेस-नीत व कांग्रेस-प्रभावित सरकारों ने चीन मसले पर ढुलमुल रवैया रख इस समस्या को बढ़ाया है लेकिन नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में समग्र राष्ट्र में जो आत्मविश्वास का वातावरण बना है उसे चीन भी नहीं भूल सकता अन्यथा चीनी कमांडरों का यह कथन, कि हिमालय हट सकता है लेकिन चीनी सेना अब ना हटेगी और अंततः हुआ यह कि चीनी सेना को भी घुटने टेक कर वापस जाना पड़ा। हम यह भी जानते हैं कि यह तिब्बत पर चीनी कब्जा पुराना रोग है और एक झटके में समाप्त नहीं होने वाला लेकिन कहते हैं कि हर समस्या का निराकरण संभव है बशर्ते उसे सही दिशा में व दशा में रखकर निपटाया जाए। 

अब वह समय आ गया है कि देश के हर एक व्यक्ति को अपनी राष्ट्रभक्ति के स्वरूप में यह देखना होगा कि चीन द्वारा कब्जा कर तिब्बत की सीमा से सटे हमारे राज्यों के बॉर्डर पर आखिर कौन-कौन सी गतिविधियां हमें किस प्रभावित कर सकती हैं। आप सबका यह चिंतन एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करेगा, जिसका एक-एक बच्चा अपनी संप्रभुता की चिंता करने वाला होगा। आज की केंद्र सरकार संप्रभुता व सुरक्षा के लिए रात-दिन एक किए हुए हैं और ताइवान, मंगोलिया तिब्बत और अब हॉन्गकॉन्ग व म्यांमार को तबाह करने वाले चीन से आम भारतीय को भी समय से सचेत होना ही होगा। तभी अखंड भारत -समृद्ध भारत-स्वस्थ भारत-सुखी भारत व सुरक्षित भारत का निर्माण होगा। 

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